हज यात्रा केवल एक छुट्टी नहीं बल्कि धर्म और विश्वास के पालन का एक माध्यम, अनुच्छेद 25 के तहत एक मौलिक अधिकार: दिल्ली हाईकोर्ट
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- June 10, 2023
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दिल्ली हाई कोर्ट ने बुद्धवार को एक महत्वपूर्ण आदेश में माना है कि हज यात्रा एक धार्मिक प्रथा है जिसे संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षण प्राप्त है।
जस्टिस चंद्र धारी सिंह की अवकाशकालीन पीठ ने हज समूह आयोजकों के पंजीकरण को केंद्र द्वारा निलंबित किए जाने के खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि हज की यात्रा मुसलमानों के लिए एक छुट्टी नहीं बल्कि धर्म और विश्वास के पालन का एक माध्यम है जो संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
इस मामले में केंद्र सरकार ने 25 मई को जारी हज कोटा के आवंटन की समेकित सूचि में हज 2023 के लिए निजी हज समूह आयोजकों (HGOs) के पंजीकरण प्रमाण पत्र को निलंबित कर दिया था। जिसके बाद 26 मई को इन आयोजकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया गया था।
इस फैसले को याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के बाद केंद्र द्वारा शिकायत संबंधी मामले में कार्यवाही को अंतिम रूप देने तक पंजीकरण प्रमाण पत्र और कोटा को स्थगित रखे जाने के फैसले पर रोक लगा दी।
हालांकि कोर्ट ने माना कि केंद्र सरकार पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने और आयोजकों को आवंटित कोटा जारी करने पर प्रतिबंध और शर्ते लगा सकती है लेकिन उन तीर्थ यात्रियों के मौलिक अधिकारों का भी ध्यान रखना चाहिए जिन्हों ने अपनी यात्रा के लिए ऐसे आयोजकों के पास अपना पंजीकरण करा रखा है।
कोर्ट ने इसी के साथ इस मामले में प्रतिवादी केंद्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि याचिकाकर्ताओं की तरफ से हुई चूक के कारण हज पर जा रहे तीर्थ यात्रियों को किसी प्रकार की बाधा का सामना न करना पड़े और बिना किसी रूकावट के हज तीर्थ यात्रा पर जा सकें।
आदेश यहाँ पढ़ें-